Class 10th ka Hindi vvi question answer
निबंध ऐसे लिखे
जवाहरलाल नेहरू/मेरे प्रिय नेता
(i) भूमिका
(ii) जीवनी
(iii) देश के लिए कार्य
(iv) अन्य उपलब्धियाँ
(v) उपसंहार
जवाहरलाल नेहरू/मेरे प्रिय नेता
भूमिका –
पंडित मोतीलाल नेहरू के इकलौते पुत्र पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 ई० को इलाहाबाद में हुआ था। वे स्वतंत्रता संग्राम के सेनानायक थे। विश्व के महान राजनीतिज्ञों में उनकी गणना होती है।
जीवनी –
पंडित नेहरू की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। तत्पश्चात् वे इंगलैंड चले गए, जहाँ उन्होंने सन् 1910 में बी०एस०सी० की परीक्षा पास की। सन् 1912 ई० में विदेश से बैरिस्टरी की परीक्षा पास करके वे स्वदेश आये ।
देश के लिए कार्य –
भारत आकर उन्होंने वकालत प्रारंभ की। पर, शीघ्रही महात्मा गाँधी के आह्वान पर उन्होंने वकालत छोड़ दी और सारा समय राष्ट्र-सेवा के लिए अर्पित किया। वे काँग्रेस में शामिल हो गए। उसी समय होम-रूल आन्दोलन शुरू हुआ। नेहरूजी ने उसमें खुलकर भाग लिया ।
काँग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई और उनके विचारों से प्रभावित होकर वे उनके अनुयायी बन गए। सन् 1918-20 ई से गाँधीजी के अहिंसात्मक सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल की यातनाएँ सहनी पड़ी 1929 ई० में लाहौर अधिवेशन हुआ। नेहरूजी उसके अध्यक्ष चुने गए । सन् 1934 ई० में उन्होंने राजेन्द्र बाबू के साथ भूकम्प पीड़ितों की सेवा जी-जान से की। 1942 ई० के क्रांति में, उन्हें अहमदाबाद के किले में नजरबन्द रखा गया । 15 अगस्त, 1947 ई० को भारत स्वतंत्र राष्ट्र घोषित हुआ और नेहरूजी स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनायें गए।
अन्य उपलब्धियाँ –
पंडित जवाहरलाल नेहरू एक सिद्धहस्त लेखक भी थे। उनकी रचनाओं में ‘विश्व इतिहास की झलक’, ‘मेरी कहानी’ और ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ प्रसिद्ध हैं।
उपसंहार-
पंडित नेहरू विश्व शांति के उपासक थे। वे पंचशील सिद्धांत के नियामक थे। वे सचमुच शोषितों, पीडितों के उन्नायक और गरीबों के भाग्य विधाता थे।
प्रश्न
पटना भ्रमण की चर्चा करते हुए अपने मित्र के पास एक पत्र लिखें ।
प्रिय मित्र राकेश, सप्रेम नमस्ते ।
तिथि
मैं यहाँ सकुशल हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी सपरिवार सकुशल ही होंगे। पत्र लिखने का आशय यह है कि पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री कोष से पटना भ्रमण का आयोजन किया गया था। इस भ्रमण में चार अध्यापक के अतिरिक्त चालीस छात्र भी थे। मैं भी उसमें सम्मिलित था। नियत समय पर विद्यालय से गाड़ी खुली और हमलोग दस बजे पटना पहुँचे। वहाँ संजय गाँधी जैविक उद्यान, गोलघर, गाँधी संग्रहाल्न, कुम्हरार पार्क, गुरूद्वारा, तारामंडल में एक शो भी हमलोगों ने देखा। शो में लगा जैसे हमलोग ब्राह्मण्ड का साक्षात्कार कर रहे हैं। संध्या चार बजे पटना से हमलोगों की गाड़ी खुली और लगभग सात बजे विद्यालय पहुँची। यह भ्रमण बड़ा ही आनंददायक और रोमांचित रहा । तुम्हारी अनुपस्थिति हमें खल रही थीं। बड़ों को प्रणाम एवं छोटों को शुभ प्यार ।
सधन्यवाद !
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
फुलेश्वर
निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए :
(i) खालिस बेचैनी किसकी है ? बेचैनी का क्या अभिप्राय है?
उत्तर
खालिस बेचैनी खरगोश की है। वह ‘ख’ लिखने में कठिनाई महसूस करता है। यहाँ बेचैनी का तात्पर्य है अविरल (लगातार) बिना चैन लिए हुए ।
(ii) परंपरा का ज्ञान किनके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों?
उत्तर
साहित्य में युग-परिवर्तन करने वाले तथा क्रान्तिकारी साहित्य रचने वाले के लिए साहित्य की परंपरा का ज्ञान आवश्यक है, क्योंकि साहित्य की परंपरा से ही प्रगतिशील आलोचना का विकास होता है और इसके ज्ञान स साहित्य की धारा मोड़कर प्रगतिशील साहित्य का निर्माण किया जा सकता है।
(iii) शम्भू महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंध पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
शम्भु महाराज ब्लिजू महाराज के चाचा थे। बिरजू महाराज को बचपन से उनका मार्गनिर्देशन मिला। भारतीय कलाकेन्द्र में उनका सान्निध्य मिला। उन्हीं का सहायक रहकर बिरजू महाराज ने सफलता प्राप्त की। शम्भू महाराज के साथ बिरजू महाराज बचपन में नाचा करते थे।
(iv) मछली और दीदी में क्या समानता दिखलाई पड़ी? स्पष्ट करें।
उत्तर
मछली और दीदी में कई समानताएँ हैं। मछली जल में रहती है और दीदी घर में। मछली झोले में तड़पती है और दीदी घर में छटपटाती रहती है। मछली पानी से निकलने पर मर जाती है, और दीदी घर में पिता से पिटती है। न मछली अपनी व्यथा प्रकट कर पाती है और न ही दीदी।
(v) गाँधीजी बढ़िया शिक्षा किसे कहते हैं ?
उत्तर
गाँधीजी के अनुसार, अहिंसक प्रतिरोध सबसे उदात्त और बढ़िया शिक्षा है। वे बच्चों को अक्षर-ज्ञान मिलने के पहले सत्य, प्रेम और आत्मा की शक्तियों का ज्ञान होना आवश्यक मानते है। प्रेम से घृणा को, सत्य से असत्य को और कष्ट सहन से हिंसा को जीतना शिक्षा का अंग होना चाहिए।
प्रश्न आशय स्पष्ट करें :
“मैं चाहता हूँ कि सारी शिक्षा किसी दस्तकारी या उद्योगों के द्वारा दी जाए।”
उत्तर
गाँधीजी की इच्छा है कि बच्चों को सभी शिक्षाएँ दस्तकारी या उद्योगों के माध्यम से वैज्ञानिक ढंग से दी जाए। उनका मानना है कि इस प्रकार की शिक्षा से बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा। साथ ही वे स्वावलंबी बनेंगे
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