17 February 10th Hindi ka subject answer
5. निम्न प्रश्नों में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में दें:
5×2=10
(i) उत्तर भारत में किन शासकों के प्राचीन नागरी लेख प्राप्त होते हैं ?
उत्तर :– उत्तर भारत में मेवाड़ के गुहिल, सांभर-अजमेर के चौहान, कन्नौज के गहड़वाल, काठियावाड़-गुजरात के सोलंकी, आबू के परमार, जेजाकमुक्ति के चंदेल तथा त्रिपुरा के कलचुरि शासकों के लेख नागरी लिपि में हैं।
(ii) मुक्ति के लिए किसे अनिवार्य माना गया है ?
उत्तर :–
मुक्ति के लिए कवि ने ईश्वर के भजन में लीन होने को अनिवार्य माना है। कवि कहता है कि व्यक्ति जब माया से मुक्ति पाने के लिए संसार की नश्वरता को मानता हुआ अपने-आपको ईश्वर भजन में लीन कर देता है, तब वह ईश्वर से समाहित हो जाता है और उसे मुक्ति मिल जाती है।
(iii) नागरी को देवनागरी क्यों कहते हैं ? लेखक इस संबंध में क्या बताता हैं ?
उत्तर :– नागरी को उत्तर भारत में ‘देवनागरी’ कहा जाता है।
लेखक के अनुसार, देवनागरी लिपि से संबंद्ध कई मत हैं। एक मत के अनुसार, काशी देवनगरी है, इसलिए यहाँ चलने वाली लिपि देवनागरी कहलायी। दूसरे मत के अनुसार, चन्द्रगुप्त (द्वितीय) ‘विक्रमादित्य’ का व्यक्तिगत नाम देव था, इसलिए गुप्तों की राजधानी पटना को देवनगर और यहाँ प्रचलित लिपि को ‘देवनागरी’ कहा गया । किन्तु, लेखक यह सब प्रामाणिक नहीं मानता ।
(iv) अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए ।
उत्तर :– बहादुर बारह-तेरह वर्ष का ठिगना, चकइठ शरीर, गोरा रंग और चपटा मुँह का लड़का था। आँखें बुरी तरह मलका रहा था। सफेद नेकर, आधी बाँह की सफेद कमीज और भूरे रंग की पुराना जूता और गले में स्काउट की तरह एक रूमाल बँधा था। लेखक के परिवार के लोग उसे ऐसे घेरे हुए थे, जैसे वह कोई अजनबी चीज हो।
(v) बिरजू महाराज की अपने शार्गिदों के बारे में क्या राय है?
उत्तर :– शार्गिदों के बारे में बिरजू महाराज की राय अच्छी नहीं है। उन्होंने कई अच्छे, कई खूब अच्छे और कई कामचलाऊ शागिदों के नाम गिनाए। किन्तु, शागिदों से उनकी शिकायत है कि किसी को त्याग या कला के प्रति सम्मान नहीं है, उनके लड़के में भी नहीं। बस कमाने-खाने और एंज्वॉय करने का ख्याल है। हाँ, शाश्वती और कुछ-कुछ दुर्गा के बारे में उनका ख्याल है कि वे कला को सम्मान देती हैं।
(vi) शिक्षा का ध्येय गाँधीजी क्या मानते थे और क्यों?
उत्तर :–गाँधीजी व्यक्ति का चरित्र-निर्माण शिक्षा का ध्येय मानते थे। साहस, बल, सदाचार और बड़े लक्ष्य के लिए काम करने में आत्मोत्सर्ग ही चरित्र-निर्माण है। यह साक्षरता से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। गाँधीजी का विचार है कि चरित्र-निर्माण करने में लोग सफल हो जाएँ तो समाज अपना काम आप ही संभाल लेगा। इस प्रकार, जिन व्यक्तियों का विकास हो जाएगा उनके हाथों में संगठन का काम सौंप दिया जाएगा।
(vii) कवि के दृष्टि के समय के रथ का घर्घर नाद क्या है? स्पष्ट करें।
उत्तर :–कवि ने सदियों से राजतंत्र से शासित जनता की जागृति को उजागर करते हुए कहा है कि अब नवीन व्यवस्था लेकर जनतंत्र का आगमन हो रहा है। राजतंत्र का जमाना लद गया, समय परिवर्तित हो चुका है। समय की पुकार है कि भारत की राजसत्ता प्रजा सँभालेगी, राजसिंहासन पर प्रजा आरूढ़ होने जा रही हैं। अब अविलम्ब सिंहासन उसके लिए खाली करो। समय की पुकार की क्रांति की शंखनाद ही रथ का घर्घर नाद है। इसके माध्यम से कवि सत्ता परिवर्तन की ओर संकेत करते हैं।
(viii) मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था ?
उत्तर :–मंगम्मा का अपनी बहू के साथ अपने पोते को लेकर विवाद था। बहू पोते को जब तब पीट दिया करती थी। इसके लिए मंगम्मा उसे मना करती थी। किन्तु, वह मंगम्मा के साथ लड़ जाती थी।
(ix) कुसुम के पागलपन में सुधार देख मंगू के प्रति माँ, परिवार और समाज की प्रतिक्रिया को अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :–कुसुम का पागलपन ठीक हो जाने पर लोगों ने फिर माँ को उसे अस्पताल में भर्ती कराने को कहा। इस बार माँ भी कुसुम के सुधार को देखकर डोल गई। परिवार के अन्य लोग तो पहले से ही तैयार थे। इसलिए, अब मंगु को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
(x) भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है ?
उत्तर :–अपनी दीनता में जकड़े होने के कारण झुकी हुई नजरों वाली, सतत् निःशब्द रोदन वाली और हमेशा खिन्न मन से रहने के कारण भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी (विदेश में रहने वाली) की तरह कष्ट में है। विदेशी सरकार के हर जुल्म, अन्याय और शोषण को भारतीयों को हर हाल में चुपचाप सहन करना पड़ रहा है। देश की संप्रभुता नष्ट होने के कारण सारे साध नों पर अंग्रेजों का अधिकार है। वे उसी के मर्जी से किसी साधनों का उपयोग कर सकते हैं अथवा नहीं। इस कारण, भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी बनी हुई हैं।
6. निम्नलिखित प्रश्नों में किसी एक प्रश्न का उत्तर
(1) आशय स्पष्ट करें :
उत्तर :–प्रस्तुत पंक्ति में काशी को संस्कृत की पाठशाला कहा गया है। काशी प्राचीन काल से ही भारत की ज्ञान नगरी रही है। यहाँ अनेक विद्वान और कला शिरोमणि लोग रहते हैं। यहाँ का इतिहास बहुत ही पुराना है। यह धर्मगुरुओं, प्रकांड विद्वानों तथा कला प्रेमियों की नगरी है, अर्थात् काशी ही सांस्कृतिक विकास का मूल केन्द्र है।
‘काशी संस्कृत की पाठशाला है।’
(ii) सप्रसंग व्याख्या करें :
बचाना है
नदियों को नाला हो जाने से हवा को धुआँ हो जाने से खाने को जहर हो जाने से
उत्तर :–प्रस्तुत पंक्तियाँ संवेदनशील कवि कुँवर नारायण द्वारा लिखित कविता संग्रह ‘इन दिनों’ से संकलित तथा ‘एक वृक्ष की हत्या’ पाठ से उद्धृत है। इनमें कवि ने प्रकृति-रक्षा के विषय में अपना विचार प्रकट किया है।
कवि का कहना है कि वह हर कीमत पर नदियों को सूखकर नाला होने से, हवा को धुआँ अर्थात् वायुमंडल को गर्म होने से तथा खाद्य-पदा
र्थ को विषाक्त और प्रदूषित होने से बचाने का प्रयास करेगा।